तौमर तंवर वंश की कुलदेवी और इतिहास Tanwar Vansh Ki Kuldevi Or History

तौमर तंवर वंश की कुलदेवी और इतिहास 
Tanwar Vansh Ki Kuldevi Or History
इन्टरनेट पर हमारे कुलदेवी और कुलदेवताओं के बारे में बहुत कम और बहुत भ्रामक जानकारियां उपलब्ध है, और हमारी युवा पीढ़ी को को भी हमारे कुलदेवी  और कुलदेवताओं के बारे में काफी कम जानकारी है तो ये एक छोटा सा प्रयास है हमारा आपको ये कैसा लगा जरुर कमेन्ट करके बताएं .
तौमर वंश या तंवर वंश चंद्रवंशीय क्षत्रिय राजपूतों का एक प्रमुख वंश है हम इस वंश का इतिहास और तंवर वंश की कुलदेवी चिल्लाय माता जी के बारे में जानेंगे। 

Tanwar vansh kuldevi chillay mata


क्षत्रिय समाज कालांतर में चार महत्वपूर्ण वंशो में विभक्त हुआ , सूर्यवंश , चन्द्रवंश , रिषीवंश , और अग्निवंश , चन्द्रवंश में उत्तरीभारत के महत्वपूर्ण राजवंश कुरूक्षेत्र के अधिपति प्रारम्भ में कौरव , पांडव और यादव वंश के नाम से विख्यात हुये ,  इन्ही पांडव वंशियो के वंशज आगे चलकर तौमर या तंवर क्षत्रिय कहलाये , संस्कृत के इतिहास कार लेखक तंवर को तौमर लिखते है ।।

तंवरों के पूर्वज पांडवो ने वर्तमान दिल्ली ( हस्तिनापुर , इन्द्रपृस्थ )को अपनी राजधानी बनाकर शासन किया , पांडवो ने अपनी कुलदेवी योगमाया को भगवान श्री कृष्ण जी के सहयोग से राजधानी में विधीवत स्थापित करवाया , जो आज भी यथावत विराजमान है , तौमरो की कुलदेवी के अनेक नाम प्राप्त होते है ,  जैसे - योगमाया , योगेश्वरी , चिलाय माता , और पाटन , तोरावाटी  में सारूड ( सारंग ) आदि। 

तू संगती  तंवरा तणी चावी मात चिलाय ।
म्हैर करी अत मात थूं दिल्ली राज दिलाय ।।

दिल्ली व ग्वालियर के तंवर शासको के इतिहास के अध्यन से तंवरों की कुलदेवी या आराध्य देवी योगमाया या योगेश्वरी ही नाम प्राप्त होता है ,परंतु तौमरो की अन्य शाखा तोरावटी के तौमरों की कुलदेवी का मुख्य स्थान सारूड गॉव की पहाडी पर स्थित है , तथा सारंग ( सारूड) माता के नाम से प्रसिद्द है , 

इसी प्रकार दिल्ली की मुख्य शाखा ग्वालियर और ग्वालियर के  शासक रामशाह तौमर जी के वंशजो के बीकानेर , जोधपुर व जयपुर में और कई प्रमुख ठिकाने स्थापित है ,यहा के तंवर भी अपनी कुलदेवी चिलाय माता जी को ही मानते है ,  साथ ही विभिन्न प्राप्त इतिहास ग्रंथो व लेखो में  भी तंवरों की कुलदेवी के नाम योगमाया , योगेश्वरी , और चिलाय माता , सारंग देवी प्राप्त होते है  ।।

तौमर तंवर वंश की कुलदेवी और इतिहास 
Tanwar Vansh Ki Kuldevi Or History

अत: स्पष्ट यही होता है कि पांडवो ने श्री कृष्ण जी की उपस्थती में योगमाया का जो मंदिर बनवाया था उसी मंदिर को दिल्ली के शासक महाराजा अनंगपाल तौमर जी ने पुन: स्थापित करवाया , यह मंदिर दिल्ली में कुतुब - महरौली मार्ग पर स्थित है । योगमाया का मंदिर होने से यह स्थान योगनीपुरी कहलाता था , इसी मंदिर के पास महाराजा अनंगपाल तौमर जी ने अनंगपाल नामक तालाब का निर्माण करवाया था , जिसके अवशेष आज भी प्राप्त है , वही योगमाया आगे चलकर योगमाया , योगेश्वरी , सारूड ( सारंग माता ) या चिलाय माता जी के नाम से विख्यात हुई। 

दिल्ली के अंतिम तौमर शासक तेजमाल ( ११९२ - ११९३ ) की मृत्यु के बाद उनके पुत्र अचलब्रह्म ने गोपांचलगढ ( ग्वालियर) के पास एसाहगढ में अपना नवीन राज्य स्थापित किया , जहा से दिल्ली के प्रथम शासक  महाराजा अनंगपाल जी प्रथम गये थे ।  इसी एसाहगढ में तौमरों ने अपनी कुलदेवी का मंदिर स्थापित करवाया था ,जिनका मंदिर आज भी उपलब्ध है , तथा गोपांचलगढ ( ग्वालियर) के तौमर उनकी आज भी आराधना करते है ।।

Tomar / Tanwar Vansh Ki Jankari
तौमर / तंवर वंश की जानकारी -

वंश                –                चंद्रवंशी
कुल देवी         –             चिल्लाय माता
शाखा             –          मधुनेक,वाजस्नेयी
गोत्र                –        अत्रि, व्यागर, गागर्य
प्रवर                –  गागर्य,कौस्तुभ,माडषय
शिखा              –                  दाहिनी
भेरू                –                      गौरा
शस्त्र                –                    खड़ग
ध्वज                –                    पंचरगा
पुरोहित             –                    भिवाल
बारहठ              –        आपत केदार वंशी
ढोली                –      रोहतान जात का
स्थान                –  पाटा मानस सरोवर
कुल वॄक्ष            –         गुल्लर
प्रणाम               –          जय गोपाल
निशान              –     कपि(चील),चन्द्रमा
ढोल                 –              भंवर
नगारा             – रणजीत/जय, विजय, अजय
घोड़ा              –                श्वते
निकास           –                  हस्तिनापुर
प्रमुख गदी       –        इन्द्रप्रस्थ,दिल्ली
रंग                 –          हरा
नाई                –          क़ाला
चमार              –          भारीवाल
शंख                –          पिचारक
नदी                –       सरस्वति,तुंगभद्रा
वेद                 –            यजुर्वेद
सवारी             –             रथ
देवता               –            शिव
गुरु                  –             सूर्य
उपाधि             – जावला नरेश.दिल्लीपति

राजिस्थान की राजधानी जयपुर शहर से करीब १११ कि.मी. की दूरी पर जयपुर - दिल्ली रोड पर कोटपुतली  से ७ कि. मी. की पर नीमकाथाना मार्ग पर तौमर वंश की कुलदेवी श्री चिलाय माता जी का मंदिर बना है , यह मंदिर अरावली श्रंखला की पहाडी पर स्थित है , पाटन के राजा राव भोपाजी तंवर द्वारा यह मंदिर बनवाने का विवरण मिलता है, जहा पहले अग्यातवास में पांडवो ने योगमाया का मंदिर बनवाया था , इस स्थान को महाभारत काल में विराटनगर कहा जाता था। 

तंवरो की कुलदेवी श्री चिलाय माता जी ने पक्षी का रूप धारण कर राव धोतजी के पुत्र जयरथजी जाटू सिंह जी की बाल अवस्था में चील का रूप धारण कर रक्षा की थी जिसके कारण माँ योगमाया को चिलाय माता जी कहा जाता है , इतिहास कारो के अनुसार कुलदेवी का वाहन चिल पक्षी होने के कारण यह चिल या चिलाय माता जी कहलाई ।।

 
तौमर तंवर वंश की कुलदेवी और इतिहास 
Tanwar Vansh Ki Kuldevi Or History

उम्मीद है आपको हमारा ये छोटा सा प्रयास पसंद आया होगा ओर अगर आपका कोई सुझाव या सवाल या हमारे कार्य से संबंधित कुछ कहना हो या कोई त्रुटी सुधार हो तो जरूर बताएं   और कमेंट जरूर करें, इसे शेयर करना ना भूलें.

एक टिप्पणी भेजें

13 टिप्पणियाँ

  1. Hamen Chalaye Mata ka sampurn Itihaas chahie Ham Maharashtra Bhusawal Jilla Jalgaon shahar mo 0 7888276665

    जवाब देंहटाएं
  2. तोमर वंश के कुल देवता कौन है

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. स्वयं श्रीकृष्ण 🚩

      हटाएं
    2. चिल्लाय माता

      हटाएं
    3. तोमर राजवंश के कुल देवता हैं
      रामदेव जी महाराज

      हटाएं
  3. बहुत ज्ञानवर्धक पोस्ट मैं तोमर जिला मेरठ का रहने वाला हूं। मैं दिल से यात्रा की कामना करता हूं। हमारी कुलदेवी मुझे अपने दर्शन करने का सौभाग्य प्रधान करें। राधे राधे

    जवाब देंहटाएं
  4. तोमर वंश के कुल भैरव श्री गौरा भैरव का प्रमुख मंदिर कहा स्थित है

    जवाब देंहटाएं
  5. स्वयं श्रीकृष्ण 🚩

    जवाब देंहटाएं
  6. मुझे हमारी कुलदेवी के बारे में पहले कुछ भी नही पता था परंतु आपके द्वारा दी गई जानकारी से माता जी के दर्शन करने को बहोत मन कर रहा है जल्द ही माता के दर्शन को जाऊंगा जय हो चिलाय माता रानी की

    जवाब देंहटाएं
  7. Bahut hi acha kiya apne hamare vansh k liye

    जवाब देंहटाएं
  8. जय हो माँ चिलाय जय गोपाल जी की जय श्री महाकाल

    जवाब देंहटाएं