वांकल माता का इतिहास कथा आरती Vankal Mata Mandir Viratra History

 वांकल माता का इतिहास कथा आरती 

Vankal Mata Mandir Viratra

Vankal mata photo


हिंगलाज के बाद बांकल देवी ही शक्ति अवतार के रूप में पूज्य है। अवसुरा चारणों की साहुवा शाखा में म्हादा के घर इस देवी का जन्म हुआ। सिद्धपुर पाटण के पास नांणो बढियार गढवाड़े में म्हादा का बास आज भी मौजूद है। वहीं इस देवी का जन्म माना जाता है।

 कुछ लोग बाड़मेर के पास स्थित गढवाड़ा (गढड़ा) गाँव को इस देवी का जन्म-स्थान मानते हैं। राजस्थान-गुजरात में केवल चारणों के गाँव ही गढवाड़े कहलाते हैं
तथा चारण गढवी। ये आवड़ देवी की भुवा थीं। हिंगळाज के बाद बस यही पहला चारण देवी का ज्ञात नाम है।

 इस देवी का अपर नाम वीरोतरै राय भी है। राजस्थान, गुजरात, सिन्ध में बांकल देवी की खूब मान्यता है एवं स्थान-स्थान पर इनके मन्दिर हैं।

वांकल माता का इतिहास

 कुआँ जोतते समय भी बांकल कर भली कहकर शुरुआत की जाती है। चौहटन से दो कोस पश्चिम में ढोक नामक स्थान के पास बीजळियार व घोनियें के बीच एक पथरीले मगरे पर बांकल देवी का मन्दिर है। वहाँ यह देवी वीरोतरै राय के नाम से भी पुकारी जाती है।

 कोसों तक फैला बड़ा ओरण है। बाड़मेर में भी बांकल का मन्दिर है। यह नन्दवाणा ब्राह्मणों की कुलदेवी के रूप में विख्यात है। बांकल देवी के पुजारी पंवार राजपूत हैं। ऊमर कोट में भी बांकल देवी का नामी मन्दिर है ।

 चारणों में आज भी बांकीदान नाम रखने की परम्परा मौजूद है। राजस्थान के प्रसिद्ध चारण कवि बांकीदास का नामकरण भी इसी देवी के नाम से जुड़ा हुआ है।

वांकल माता की कथा

 चैत्रपद, भाद्रपद एवं माघ महीने की शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को बड़ा मेला एवं बड़ी पूजन होती है । उन मेलों में कौवे नहीं आते हैं। जैसलमेर, जोधपुर एवं मेवाड़ के राजघरानों में भी इस देवी की मान्यता रही है।
वि.सं.1752 में महारावल अमरसिंह ने इस मन्दिर में वीरघंटा चढ़ाई थी जो अब भी यहा विद्यमान है ।

Vankal Mata Ki Aarti
वांकल माता की आरती

जय वांकल माता, मैया जय वांकल माता।
सबके घर में बिराजो, सुख सम्पति दाता॥
ओम जय वांकल माता ।। टेर ।

कोई कहे बंकेशवरी, कोई कहे बीसल माता ।
वांकल नाम से पुकारे, तू ही खडक की माता ।।
ओम जय वांकल माता ।।

दीपली भाखरी में बिराजो, उम्मेदनगर में आता ।
एक बार दर्शन से, मन शान्ति पाता ।।
ओम जय वांकल माता ।।

हमारे घर की देवी, तू ही कुल देवी माता ।
नवमी को जो पूजे, दु:ख नही भरमाता ।
ओम जय वांकल माता ।

दया करो हे देवी, हमे कुछ नही आता।
हम तुम्हारी शरण में, तुम हो कृपा दाता ।।
ओम जय वांकल माता ॥

वांकल माताजी की आरती, जो नियमित गाता ।
माताजी की शक्ति से, भक्ति मुक्ति पाता ।।
ओम जय वांकल माता ॥

जय वांकल माता, मैया जय वांकल माता ।
सबके घर में बिराजो, सुख सम्पति दाता ।।
ओम जय वांकल माता ॥

उम्मीद है आपको ये जानकारी और प्रयास अच्छा लगा होगा और आपको वांकल देवी के बारे में और अधिक जानकारी हो तो जरूर बताएं।

वांकल माता का इतिहास कथा आरती 
Vankal Mata Mandir Viratra
Vankal Mata Ki Aarti
वांकल माता की आरती

एक टिप्पणी भेजें

5 टिप्पणियाँ