गुली देवी जी का इतिहास कथा ओर मंदिर Gulj Devi History and Temple in Hindi

गुली देवी जी का इतिहास कथा ओर मंदिर 

Guli Devi History and Temple in Hindi


guli devi history and temple in hindi


आवड़ देवी की ही एक अन्य बहिन गुली है। अपर नाम गहली व तोतला है। गुली का नाम देवी भागवत में भी आता है। अरब के बेबीलोनिया प्रान्त के प्रसिद्ध नगर सीरिया के खण्डहरों की खुदाई में भी औषधियों की अधिष्ठात्री देवी का नाम गुरूी लिखा है ।

पर ये दोनों देवियाँ इससे भिन्न हैं। इस देवी की आवड़ देवी के साथ ही पूजा होती है तथा आवड़ देवी की सात आकृतियों वाली मूर्ति में एक आकृति इसी देवी की है ।

पांचाळ के भाडला गाँव में गुली देवी का मन्दिर व गुलीबाव है। आवड़ देवी की अन्य बहनें आछी (आशी), छाछी (शेषी), हुली (होल), रूपी थीं। ये सब भी आवड़ देवी के साथ ही सात देवियों के रूप में पूजी जाती हैं। इनके अपने अलग-अलग पूजा-स्थल भी हैं।

छाछी का मुख्य स्थान सिन्ध में छाछरो नामक गाँव में है। अन्य गिनार के पास बीसावदर स्टेशन से पन्द्रह किलोमीटर दूर छाछेई गाँव में है, जिसे छाछी गिर या छाछाई भी कहते हैं। तलाजो के पास ऊकड़ो में भी इस देवी का स्थान है।

हुली का मुख्य स्थान ध्रांगधड़ा (गुजरात) के पास जंगल में है । हूली (होल) गुजरात के बहुत से वर्गों में कुल देवी के रूप में मान्य है बांकानेर के पास होल मढ है। गुजरात के मच्छ बाँध के पास इस देवी का भव्य मन्दिर है। छाछी कंकाई माता के रूप में भी पूजी जाती है।

सातों बहिनों का एक दोहा भी लोक प्रचलित है-

आवड़ गुल रूपां अछी, लांगी छाछी होल

गढवी मांमड़िये घरां, सातों बहन सतोल.

गुली देवी जी का इतिहास कथा ओर मंदिर 

Guli Devi History and Temple in Hindi

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